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ॐ भूर्भुवः स्वः' गायत्री मंत्र का एक भाग है. इसका अर्थ है- 'हमारे मन को जगाने की अपील करते हुए हम माता से प्रार्थना करते हैं कि वह हमें शुभ कार्यों की ओर प्रेरित करे'.

  ॐ भूर्भुवः स्वः' गायत्री मंत्र का एक भाग है.  इसका अर्थ है- ' हमारे मन को जगाने की अपील करते हुए हम माता से प्रार्थना करते हैं कि वह हमें शुभ कार्यों की ओर प्रेरित करे '.   'ॐ भूर्भुवः स्वः' के शब्दों के अर्थ:  ॐ - आदि ध्वनि, भूर् - भौतिक शरीर या भौतिक क्षेत्र, भुव - जीवन शक्ति या मानसिक क्षेत्र, स्व - जीवात्मा.   गायत्री मंत्र के अन्य शब्दों के अर्थ:   तत् - वह (ईश्वर) सवितुर - सूर्य, सृष्टिकर्ता (सभी जीवन का स्रोत) वरेण्यं - आराधना भर्गो - तेज (दिव्य प्रकाश) देवस्य - सर्वोच्च भगवान धीमहि - ध्यान धियो - बुद्धि को यो - जो नः - हमारी प्रचोदयात् - शुभ कार्यों में प्रेरित करें गायत्री मंत्र के नियमित जाप से मन शांत और एकाग्र रहता है.  मान्यता है कि इस मंत्र का लगातार जपा जाए, तो इससे मस्तिष्क का तंत्र बदल जाता है.  

माता जी की प्रसिद्ध भेंट

मेरी दाती रखीं मैनूं चर्णा दे कोल । मेरी दाती तेरे जया कोई न होर। सब थां ठोकरां खा मैं आया । किसे नहीं दाती मैनूं अपनाया। मिली न किधरे वी ठौर-मेरी मैय्या..  सब दे दिलां दी मां तू जाने।  मन लत आये तेरे दर आशा पुजानेबनी क्यों मात कठोर-मेरी मैय्या...... जगत दी वाली तू मां अम्बे ।सब ते कृपा कर जगदम्बे । औगन न साडे टटोल मेरी मैय्या..... मन मन्दिर मां जोत है तेरी । स्वास स्वास जपे जगदम्बे मेरी । मंझधार विच न छोड़-मेरी मैय्या...... मोह ममता दल दल विच फसया । कर्म कोई 'चमन' कर न सकया। पई मां अज तेरी लोड़-मेरी मैय्या... चमन नादान मैय्या दर तेरे आया। सब कुछ छड मोह तेरे नाल पाया। खाली न दर तों मोड़-मेरी मैय्या.....

माता जी की प्रसिद्ध भेंट

मेरी दाती रखीं मैनूं चर्णा दे कोल । मेरी दाती तेरे जया कोई न होर। सब थां ठोकरां खा मैं आया । किसे नहीं दाती मैनूं अपनाया। मिली न किधरे वी ठौर-मेरी मैय्या..  सब दे दिलां दी मां तू जाने।  मन लत आये तेरे दर आशा पुजानेबनी क्यों मात कठोर-मेरी मैय्या...... जगत दी वाली तू मां अम्बे ।सब ते कृपा कर जगदम्बे । औगन न साडे टटोल मेरी मैय्या..... मन मन्दिर मां जोत है तेरी । स्वास स्वास जपे जगदम्बे मेरी । मंझधार विच न छोड़-मेरी मैय्या...... मोह ममता दल दल विच फसया । कर्म कोई 'चमन' कर न सकया। पई मां अज तेरी लोड़-मेरी मैय्या... चमन नादान मैय्या दर तेरे आया। सब कुछ छड मोह तेरे नाल पाया। खाली न दर तों मोड़-मेरी मैय्या.....

नित्य पढ़े : श्री दुर्गा कवच

ऋषि मारकंडे ने पूछा जमी । दया करके ब्रह्मा जी बोले तभी। कि जो गुप्त मन्त्र है संसार में। हैं सब शक्तियां जिसले अधिकार में। हर इक का जो कर सकता उपकार है। जिसे जपने से बेड़ा ही पार है। पवित्र कवच दुर्गा बलशाली का । जो हर काम पूरा करे सवाली का । मैं नव दुर्गा के नाम बतलाता हूँ। कवच की मैं सुन्दर चौपाई बना। सुनो मारकंडे मैं समझाता हूँ। जो अत्यन्त है गुप्त देऊं बता ।

नित्य पढ़े : श्री दुर्गा कवच

ऋषि मारकंडे ने पूछा जमी । दया करके ब्रह्मा जी बोले तभी। कि जो गुप्त मन्त्र है संसार में। हैं सब शक्तियां जिसले अधिकार में। हर इक का जो कर सकता उपकार है। जिसे जपने से बेड़ा ही पार है। पवित्र कवच दुर्गा बलशाली का । जो हर काम पूरा करे सवाली का । मैं नव दुर्गा के नाम बतलाता हूँ। कवच की मैं सुन्दर चौपाई बना। सुनो मारकंडे मैं समझाता हूँ। जो अत्यन्त है गुप्त देऊं बता ।

श्री दुर्गा स्तुति के कौन से अध्याय का पाठ किस लिए करें।

 निष्काम भाव से रोजाना पढ़ने वाले यह पाठ करें, दुर्गा कवच, मंगला स्तोत्र, अर्गला स्तोत्र, कीलक स्तोत्र, काली, चण्डी, लक्ष्मी, संतोषी मां रुक्षेत्र, नम्र प्रार्थना, नवदुर्गा स्तोत्र तथा आरती। हर प्रकार की चिन्ता हटाने के लिए प्रथम अध्याय । हर प्रकार के झगड़े जीतने के लिए दूसरा अध्याय । शत्रु से छुटकारा पाने के लिए तीसरा, भक्ति-शक्ति या भगवती के दर्शन पाने के लिए चौथा व पांचवा अध्याय । डर हम प्रेत छाया आदि हटाने के लिए छटा अध्याय हर कामना पूरी करने के लिए सातवां अध्याय । मिलाप वशीकरण के लिए आठवां गुमशुदा की तलाश, हर प्रकार की कामना पुत्रादि प्राप्त करने के लिए नवम् तथा दसवां अध्याय। व्यापार, सुख सम्पति के लिए ग्यारहवां। भक्ति प्राप्त करने के लिए बाहरवां अध्याय। मान तथा लाभ के लिए तेहरवां अध्याय । सफर जाने से पहले दुर्गा कवच श्रद्धा और शुद्ध भावना से पढ़े। धन दौलत कारोबार के लिए चण्डी स्तोत्र कलह कलेश चिन्ता से बचने के लिए महाकाली लक्ष्मी नव दुर्गा स्तोत्र पढ़िए यदि सारा पाठ न कर सके तो दुर्गा अष्टनाम और नव दुर्गा स्तोत्र पढ़ें। पाठ के समय गंगा जल या कुएं का जल साथ रखें शुद्ध आसन बिछा ...

श्री दुर्गा स्तुति के कौन से अध्याय का पाठ किस लिए करें।

 निष्काम भाव से रोजाना पढ़ने वाले यह पाठ करें, दुर्गा कवच, मंगला स्तोत्र, अर्गला स्तोत्र, कीलक स्तोत्र, काली, चण्डी, लक्ष्मी, संतोषी मां रुक्षेत्र, नम्र प्रार्थना, नवदुर्गा स्तोत्र तथा आरती। हर प्रकार की चिन्ता हटाने के लिए प्रथम अध्याय । हर प्रकार के झगड़े जीतने के लिए दूसरा अध्याय । शत्रु से छुटकारा पाने के लिए तीसरा, भक्ति-शक्ति या भगवती के दर्शन पाने के लिए चौथा व पांचवा अध्याय । डर हम प्रेत छाया आदि हटाने के लिए छटा अध्याय हर कामना पूरी करने के लिए सातवां अध्याय । मिलाप वशीकरण के लिए आठवां गुमशुदा की तलाश, हर प्रकार की कामना पुत्रादि प्राप्त करने के लिए नवम् तथा दसवां अध्याय। व्यापार, सुख सम्पति के लिए ग्यारहवां। भक्ति प्राप्त करने के लिए बाहरवां अध्याय। मान तथा लाभ के लिए तेहरवां अध्याय । सफर जाने से पहले दुर्गा कवच श्रद्धा और शुद्ध भावना से पढ़े। धन दौलत कारोबार के लिए चण्डी स्तोत्र कलह कलेश चिन्ता से बचने के लिए महाकाली लक्ष्मी नव दुर्गा स्तोत्र पढ़िए यदि सारा पाठ न कर सके तो दुर्गा अष्टनाम और नव दुर्गा स्तोत्र पढ़ें। पाठ के समय गंगा जल या कुएं का जल साथ रखें शुद्ध आसन बिछा ...

श्री गणेशाधिपतये नमः

  नमो ब्रातपत्रये नमो गणप ये नमः प्रथमपतये नमोस्तुते।लम्बौदराये कदन्तराय विघ्न विनाशिने शिवसुताय नमोनमः। पूर्वामन्त्र सरस्वती मनुभजे शुम्भादि दैत्य दिनोमः । नदीनां च यथा गंगा देवनाग्न यथा हरिः । शास्त्रात्रेषु यथा गीता तथैय शक्ति रुतमा। अष्टम्मां बुधवारे 'चमन' दुर्गास्तोत्र विर्निमितम। अमृतसरी भवके नेनापि श्री नारायण सुनूनां । सर्वरुपमया देवी सर्वदेवीमया जगत। अतोहं विश्रवरुपां त्वां नमामि परमेश्वराम्