Aap ke bhitar hi toh hai jagat ka palan karta fir kyo bhatak te hai dar badar ......
कैलाश पर्वत के चारों ओर घूमा, जो वास्तव में भगवान के वास का स्थान माना जाता है, और अंततः मानवता की बुराईयों और अज्ञानता से लड़ते हुए, धर्म और सच्चाई की विजय की प्रतीक्षा करना चाहिए। यदि आप हिंदू धर्म के अनुसार कलियुग के अंत के विषय पर गहराई से जानना चाहते हैं, तो यहाँ एक विस्तृत जानकारी दी जा रही है, मैं आपको मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डालने की कोशिश करूंगा, जिससे आप इस विषय पर एक व्यापक दृष्टिकोण प्राप्त कर सकें। हिंदू धर्म के अनुसार कलियुग का अंत 1. **कलियुग की परिभाषा और विशेषताएँ** - **कलियुग**: हिंदू धर्म के अनुसार, कलियुग चार युगों (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, और कलियुग) में से अंतिम युग है। यह युग पतन, अज्ञानता, और पाप का युग माना जाता है। इस युग में धर्म की कमी होती है और मनुष्य के आचरण में गिरावट आती है। - **विशेषताएँ**: कलियुग में झूठ, अहंकार, और हिंसा की प्रधानता होती है। मानवता की नैतिकता और धर्म में कमी आती है, और यह युग अधिकतम सामाजिक और आध्यात्मिक समस्याओं से भरा हुआ होता है। 2. **कैल्युग का अंत: धार्मिक मान्यताएँ** -...
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