ॐ भूर्भुवः स्वः' गायत्री मंत्र का एक भाग है. इसका अर्थ है- ' हमारे मन को जगाने की अपील करते हुए हम माता से प्रार्थना करते हैं कि वह हमें शुभ कार्यों की ओर प्रेरित करे '. 'ॐ भूर्भुवः स्वः' के शब्दों के अर्थ: ॐ - आदि ध्वनि, भूर् - भौतिक शरीर या भौतिक क्षेत्र, भुव - जीवन शक्ति या मानसिक क्षेत्र, स्व - जीवात्मा. गायत्री मंत्र के अन्य शब्दों के अर्थ: तत् - वह (ईश्वर) सवितुर - सूर्य, सृष्टिकर्ता (सभी जीवन का स्रोत) वरेण्यं - आराधना भर्गो - तेज (दिव्य प्रकाश) देवस्य - सर्वोच्च भगवान धीमहि - ध्यान धियो - बुद्धि को यो - जो नः - हमारी प्रचोदयात् - शुभ कार्यों में प्रेरित करें गायत्री मंत्र के नियमित जाप से मन शांत और एकाग्र रहता है. मान्यता है कि इस मंत्र का लगातार जपा जाए, तो इससे मस्तिष्क का तंत्र बदल जाता है.
संकट निवृत्ति के लिए:
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणतक्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।
लक्ष्मी प्राप्ति के लिये:
तत् आरम्भ नन्दस्य बृज: सर्वसमृध्दिमान।
हरेनि्वासात्मगुणे: रमार्कीडामभुत्रृप।।
वर प्राप्ति के लिये:
कल्यायनि. महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।
नंदगोपसचतं देवी पतिं मे कुरु मे नमः।
विध्या प्राप्ति के लिये:
मां शारदे नमस्तुभ्य काश्मीरपुरवासिनी।
चामहं प्रार्थये नित्यं विद्या दान्ण्च देसी में।।
सर्वत्र विजय प्राप्ति के लिये:
विजयाभीमुखा राजा श्रत्वैतदभियाति यान्।।
बर्लि तस्मै हरन्त्यर्गे राजान: पृथवे राधा।
भगवतप्राप्ति के लिये:
हानाथ रमण र्पेष्ठ क्वासि -क्वासि महाभुज।
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणतक्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।
लक्ष्मी प्राप्ति के लिये:
तत् आरम्भ नन्दस्य बृज: सर्वसमृध्दिमान।
हरेनि्वासात्मगुणे: रमार्कीडामभुत्रृप।।
वर प्राप्ति के लिये:
कल्यायनि. महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।
नंदगोपसचतं देवी पतिं मे कुरु मे नमः।
विध्या प्राप्ति के लिये:
मां शारदे नमस्तुभ्य काश्मीरपुरवासिनी।
चामहं प्रार्थये नित्यं विद्या दान्ण्च देसी में।।
सर्वत्र विजय प्राप्ति के लिये:
विजयाभीमुखा राजा श्रत्वैतदभियाति यान्।।
बर्लि तस्मै हरन्त्यर्गे राजान: पृथवे राधा।
भगवतप्राप्ति के लिये:
हानाथ रमण र्पेष्ठ क्वासि -क्वासि महाभुज।
दास्यास्ते कृपणता में सके दर्शय सात्रिधिम्।।
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